कालचक्र - द सीक्रेट ऑफ टाइम
कालचक्र
चैप्टर - 2
द मिस्टीरियस ट्रैवेलर
शेखर भविष्यकाल की यात्रा कर के ठीक उसी समय में वापस लौट आया था, जब उसने समय यात्रा की शुरुआत की थी यानि कि अपने मूलभूत समय में, मगर इस बार कुछ गड़बड़ हो गई थी।
"म... मेरा टाइम ट्रैवेल डिवाइस... और ये... ये क्या है?"
शेखर ने अपने हाथों में मौजूद टाइम ट्रैवेल डिवाइस के बजाए उस पेपर को देखा जिस पर टाइम मशीन बनाने का हूबहू वैसा ही फॉर्मूला लिखा हुआ था जैसा कि उसने अपने भविष्यकाल
में देखा था।
दरअसल हुआ यह था कि जब वह भविष्यकाल के शेखर की टाइम मशीन को नष्ट करने के लिए उसे ले जा रहा था और यह देखकर भविष्यकाल के शेखर ने उस पर हमला कर दिया था तो ठीक उसी हमले में उन दोनों के टाईम ट्रैवेल डिवाइसेज आपस में एक्सचेंज हो गए और शेखर का बनाया हुआ डिवाइस फ्यूचर में ही रह गया था।
जबकि वह अपने साथ भविष्य का पहले से भी ज्यादा एडवांस डिवाइस ले आया था मगर यहाँ एक दुर्घटना घट गई थी।
हुआ यह कि जब शेखर ने भविष्य में अपनी डिवाइस के बजाए उस दूसरे टाइम ट्रेवेल डिवाइस का इस्तेमाल किया तो चूंकि वहाँ पर एक और टाइम ट्रैवेल डिवाइस मौजूद था, यानि उसकी खुद की डिवाइस जिसे वह भविष्य में छोड़ आया था।
अब हुआ कुछ यूँ कि गलती से उसकी अपनी डिवाइस भी ऑन हो गई थी और परिणामस्वरूप भविष्य के उस दूसरे टाइम ट्रेवेल डिवाइस ने शेखर के साथ-साथ खुद भी समय यात्रा की थी। जिसकी वजह से अब वह डिवाइस अपने मूल रूप में आ गया, जब वह सिर्फ एक अनोखे आईडिया के रूप में पेपर पर मौजूद था, अपने प्रारम्भिक स्वरूप में।
यह शायद दो टाइम ट्रैवेलिंग डिवाइसों के एक साथ प्रयोग किए जाने पर घटित होने वाला गम्भीर और अनोखा परिणाम था, जो कि फिलहाल उसकी समझ से बिल्कुल परे था।
खैर वास्तविकता यह थी कि शेखर के पास अपना टाइम ट्रेवेल डिवाइस ही नहीं था, बस एक आईडिया था और अब उसे एक नया डिवाइस बनाना था।
"मुझे... मुझे शनाया को बचाना होगा... मुझे वापस भूतकाल में जाना होगा।"
शेखर पागलों की तरह बड़बड़ाता हुआ चल पड़ा एक नया टाइम ट्रैवेलिंग डिवाइस बनाने के लिए।
मगर इससे पहले कि वह डिवाइस बनाने की शुरूआत करता अचानक वहाँ पर कुछ बहुत ही अजीब सा घटित हुआ।
शेखर उस वक्त अपने कमरे में खड़ा था जब उसकी ठीक दायीं ओर एक हल्का सा खुटका हुआ।
"ये क्या..."
बोलता हुआ वह दायीं ओर मुड़ा पर वह अपना सवाल पूरा कर पाता उससे पहले ही वहाँ उससे सिर्फ कुछ कदम दूर रोशनी का एक तेज धमाका हुआ और उसकी आँखें अपने-आप ही बंद हो गईं।
आँखें बंद किए हुए भी उसे महसूस हो रहा था कि उसके ठीक सामने वहाँ जोरदार रोशनी की चमक उठ रही थी मानों जैसे कि हजारों वाट का कोई बल्ब अचानक जल गया हो।
बहरहाल अगले कुछ पलों बाद उसे एक अजीब सी ठंडक का एहसास हुआ और ऐसा लगा मानों जैसे अचानक उसका शरीर भाररहित हो गया हो।
कुछ सोचते हुए उसने अपनी आँखें खोली पल एक पल को वह सबकुछ उसे धुँधला ही नजर आया। इसीलिए उसने आँखें मींची और दोबारा सामने की ओर देखा पर उसे जो दिखा वह देखकर शेखर बुरी तरह चौंक गया।
"अरे! यह क्या है... यह कौन सी जगह है?"
बोलने के साथ ही उसने हैरानी और उत्सुकता के साथ अपने चारों ओर नजरें घुमाकर देखा।
ऐसा लग रहा था मानों जैसे वह किसी सफेद रंग की दीवार वाले वर्गाकार कमरे में खड़ा हो और जिसकी दीवारें इतनी दूर हों कि उसे नजर भी न आ रही हों, बावजूद इसके उस यह एहसास हो रहा था कि दीवारें स्पष्ट रूप से सफेद रंग की थीं।
"आखिरकार मैंने तुम्हें खोज लिया।"
अचानक एक खरखराहट भरी आवाज उसके कानों में पड़ी और वह चौंककर पीछे मुड़ गया।
जब उसने मुड़कर देखा तो पाया कि सामने एक अजीब सा बूढ़ा इंसान मौजूद था।
अजीब इसलिए क्योंकि उसने ऊपर से नीचे तक सफेद रंग के कपड़े पहन रखे थे और उसकी हल्की घनी दाढ़ी और साथ ही सिर के बाल भी पूरी तरह सफेद नजर आ रहे थे जिनकी वजह से वह उसी कमरे का ही एक हिस्सा लग रहा था।
"तुम कौन हो?"
शेखर ने उस अजीब से दिख रहे इंसान से सवाल किया।
"ट्रैवेलर... तुम मुझे ट्रैवेलर कह सकते हो।"
उसने बेहद शांत और संयमित स्वर में जवाब दिया।
"ट्रैवेलर?"
ऐसा अजीबो-गरीब नाम सुनकर शेखर बुरी तरह चौंका।
"हाँ ट्रैवेलर!"
ट्रैवेलर ने धीमी आवाज में कहा और हौले से मुस्कुराया।
"अच्छा ठीक है मिस्टर ट्रैवेलर पर हम आखिर हैं कहाँ पर... ये जगह कौन सी है?"
शेखर ने उससे सवाल किया क्योंकि उसे पूरा यकीन था कि इस वक्त उसके यहाँ पर होने का कारण कोई और नहीं वह टैवेलर ही था।
"ये कोई जगह नहीं है... ये तुम्हारे दिमाग का ही एक हिस्सा है।"
ट्रेवेलर ने शांतिपूर्ण ढ़ंग से कहा जिसे सुनकर शेखर बुरी तरह चौंका।
"मेरा दिमाग??" उसने कहा और फिर आगे जोड़ दिया - "ये कैसे पॉसिबल है?"
शेखर की यह बात सुनकर ट्रैवेलर अजीब सी रहस्यमयी अंदाज में मुस्कुराया।
"देखा जाए तो टाइम ट्रैवेल भी पॉसिबल नहीं पर अगर मैं सही हूँ तो तुमने अभी-अभी टाइम ट्रैवेल किया है और वो भी एक नहीं दो-दो बार।"
ट्रैवेलर ने उसी प्रकार मुस्कुराते हुए जवाब दिया।
"त... तुम्हें कैसे पता?"
शेखर बुरी तरह हकबकाया हुआ था।
"मुझे सबकुछ पता है... जैसा कि मैंनें अभी-अभी यह बताया कि हम इस वक्त तुम्हारे दिमाग में हैं और मैं यहाँ सबकुछ स्पष्ट रूप से देख सकता हूँ।"
ट्रैवेलर ने अपने उसी गंभीर आवाज में दोबारा कहा।
"पर अगर ये मेरा दिमाग है तो तुम मेरे दिमाग में कैसे आ सकते हो?"
उसने सवाल किया।
"जैसा कि मेरा नाम है ट्रैवेलर... इस नाम के ही अनुरूप मेरा काम भी है, यात्राएँ करना और मैं कहीं भी आ-जा सकता बशर्ते मुझे इसकी जरूरत महसूस हो।"
ट्रैवेलर ने जरूरत शब्द पर अधिक जोर देते हुए कहा जिस पर शेखर उसे घूरने लगा।
"अच्छा... अगर ऐसा है तो यहाँ मेरे दिमाग में आने तुम्हें क्या जरूरत पड़ गई?"
शेखर ने फिर से सवाल किया जिसे सुनकर ट्रैवेलर इस तरह से मुस्कुराया मानों सामने शेखर न हो कोई छोटा सा बच्चा हो जो यह बचकाने सवाल कर रहा हो।
"जरूरत थी तुम्हें ये बताने कि तुम एक बार फिर से वही गलती करने जा रहे हो..."
"कैसी गलती?"
शेखर उसकी बात को बीच में काटता हुआ बोला।
"एक ऐसी गलती जिसकी वजह से तुम पिछले कई सालों से इसी तरह इस टाइम लूप में भटक रहे हो।"
ट्रैवेलर ने उसे बताया और यह सुनकर शेखर बुरी तरह चिंहुका।
"टाइम लूप?"
वह बुदबुदाया।
"हाँ टाइम लूप... विभिन्न कालक्रम की घटनाओं का एक ऐसा बंद लूप जिसमें एक के बाद एक वही घटनाएँ बार-बार दोहराती रहती हैं और समय यात्रियों को कभी इसका एहसास तक नहीं होता..."
"यात्रियों?"
शेखर दोबारा ट्रैवेलर की बात को काटता हुआ बीच में बोल उठा।
"हाँ... तुम्हें क्या लगा तुम पहले इंसान हो जिसने टाइम मशीन बनाई है?"
ट्रैवेलर ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा जिसे सुनकर शेखर बुरी तरह शर्मा गया।
"अर्... आपने कहा कि मैं सालों से किसी टाइम लूप में फँसा हुआ हूँ... कैसा लूप और मुझे ये पता कैसे नहीं चला?"
शेखर ने पूछा जो टाइम लूप जैसे शब्द से अच्छी तरह वाकिफ था।
"टाइम लूप के बारे में तुम क्या जानते हो?"
इस बार जवाब देने के बजाए ट्रेवेलर ने खुद उससे सवाल किया जिसे सुनकर शेखर थोड़ा सोचने लगा।
"टाइम लूप जिसका प्रतीक अक्सर ऐसे साँप को माना जाता है
जो खुद अपनी ही पूँछ खा रहा हो बिल्कुल किसी गोल वृत्त की तरह।"
शेखर ने जवाब दिया।
"ठीक कहा... बिल्कुल एक वृत्त की तरह... एक ऐसा गोल वृत्त जिसकी न तो शुरुआत होती है और न ही अंत।
समय भी यहाँ पर अलग रूप-रेखा में काम करता है अर्थात इस लूप के भीतर समय और समय में घटित हुई घटनाएं बार-बार उसी क्रम में दोहराती रहती हैं, पर समय यात्री को इस सच्चाई का कभी पता ही नहीं चलता भले ही वह सालों तक टाइम लूप में फँसा रहे और इस तरह वह हमेशा-हमेशा के लिए इस लूप में ही कैद होकर रह जता है।"
ट्रैवेलर ने उसे आसान शब्दों में समझाते हुए कहा।
"तो क्या मैं भी कैद हूँ... किसी टाइम लूप में?"
शेखर ने पूछा।
"क्यों... क्या अभी कुछ देर पहले तुमने खुद यह नहीं सोचा था कि अगर तुम्हारी शनाया भूतकाल में मर चुकी थी तो भविष्य के समय में कैसे पहुँची... क्या यह सवाल तुम्हारे भीतर नहीं उठा था अभी कुछ क्षणों पहले?"
ट्रैवेलर ने इस तरह से सवाल किया मानों उसे कुछ याद दिलाने की कोशिश कर रहा हो और अचानक शेखर को एक झटका सा लगा।
"अरे हाँ... बिल्कुल मैं यही सोच रहा था पर तुम्हें कैसे..."
"मैंनें कहा न हम इस वक्त तुम्हारे दिमाग में हैं।"
ट्रैवेलर उसकी बात काटकर बोला जिस पर शेखर बुरी तरह झेंप गया।
"ओह! अच्छा तो फिर यह हुआ कैसे?
मेरा मतलब है शनाया मुझे भविष्य में कैसे दिखी वो भी मेरे ही भविष्यकाल के रूप शेखर की पत्नी के रूप में?"
शेखर ने गम्भीरतापूर्वक उससे सवाल किया।
"बताता हूँ सुनो... दरअसल तुमने टाइम मशीन बनाई थी अपनी गर्लफ्रेंड शनाया को बचाने के लिए और इसी वजह से तुम टाइम ट्रैवेल करके भूतकाल यानि 2009 में गए।
जहाँ तुमने अपने ही भूतकाल की मदद से शनाया को बचाने की कोशिश की, मगर समय ने यहाँ पर अपना खेल दिखाया और एक बार फिर से वही घटना घटित हुई जिसमें तुम्हें बचाते हुए शनाया मारी गई और वो भी तुम्हारे ही भविष्यकाल के हाथों जो दरअसल वहाँ पर तुम्हें मारने आया था न कि शनाया को..."
"मुझे... पर मुझे क्यों?"
शेखर ने हैरानी भरी आवाज में उससे पूछा।
"सुनते रहो समझ जाओगे... तो जैसा कि मैंनें बताया, तुम्हारे ही भविष्य ने अतीत में जाकर तुम्हें मारने की कोशिश की मगर एक छोटी सी गलती से शनाया मारी गई, जिसके बाद तुमने वापस टाइम ट्रैवेल किया और ठीक उसी समय में आ गये जब तुमने टाइम ट्रैवेल कर भूतकाल में जाने का फैसला किया था।
मगर यहाँ पर एक ऐसी घटना घटी जो समय के मूलभूत नियमों के अनुसार तो बहुत ही स्वाभाविक है पर अफसोस की बात है कि समय यात्रा करने वाला लगभग हर यात्री इसे नजरअंदाज कर देता है।"
इतना कहकर ट्रैवेलर ने थोड़ा पॉज लिया।
"कैसा नियम?"
शेखर ने पूछा।
"समय की निरंतरता का नियम।"
ट्रैवेलर ने कहा और फिर उसके कुछ पूछने से पहले खुद ही उसे समझाने लगा।
"इसे इस तरह समझो कि समय किसी इलास्टिक जैसा है और जब कोई भी व्यक्ति विज्ञान या किसी अन्य शक्ति की मदद से समय यात्रा करके किसी और समय में जाता है तो समय रूपी इस इलास्टिक के रूप में कुछ न कुछ परिवर्तन जरूर होता है।
मगर, जैसे ही वह व्यक्ति पुनः समय यात्रा करके वापस अपने समयकाल में आता है इलास्टिक वापस अपने पहले वाले रूप में आ जाता है।"
"मतलब?"
शेखर यह सब सुनकर बुरी तरह चकरा गया था।
"मतलब यह कि जब तुमने वहाँ भूतकाल से वापस अपने समय में आने के लिए समय यात्रा की और अपने समय में आ गये तो भूतकाल में सबकुछ बदल गया। यानि कि तुमने वह समय यात्रा असल में कभी की ही नहीं।"
ट्रैवेलर ने बताया।
"यानि... यानि पास्ट में वह सबकुछ हुआ ही नहीं जो मेरे जाने के बाद वहाँ हुआ था?"
शेखर ने हैरानी भरी आवाज में ट्रैवेलर से सवाल किया।
"हाँ... तुम टाइम ट्रैवेल करके भूतकाल में कभी गए ही नहीं और जब तुम भूतकाल में गए ही नहीं तो तुम्हारी गर्लफ्रेंड शनाया भी नहीं मरी क्योंकि उसकी मौत की असल वजह तुम ही थे..."
"मैं कैसे?"
शेखर यह सुनकर बुरी तरह कसमसाया और बोल उठा।
"मैंनें बताया न कि तुम्हारा भविष्यरूप वहाँ भूतकाल में तुम्हारे ही पीछे गया था। पर अब जब तुम वहाँ नहीं गए थे तो तुम्हारे पीछे वह भी नहीं गया और इस तरह शनाया बच गई लेकिन..."
"लेकिन क्या?"
शेखर ने पूछा।
"यहाँ समय के एक और मूलभूत नियम ने अपना काम किया।"
"अब कौन सा नियम?"
शेखर झुँझला गया।
"असल में तुम भले ही अब भूतकाल में नहीं गये थे पर तुम्हारे भीतर वो यादें थीं... टाइम ट्रैवेल कर भूतकाल में जाने और फिर शनाया को मरते हुए देखने की यादें... क्योंकि समय यात्रा के नियमों के मुताबिक किसी ट्रैवेलर की यादें वही होती हैं जो उसने समय यात्रा के दौरान देखी और सुनी हो... कहने का मतलब है कि तुम्हें कभी यह मालूम ही नहीं चला कि जिस शनाया को तुम बचाने के लिए भूतकाल में गए थे उसे बचाने की कभी जरूरत ही नहीं थी।"
ट्रैवेलर ने उसे समझाया।
"ओह!"
शेखर ने अजीब सी आवाज में कहा।
"खैर, चूंकि तुम्हारी यादों के अनुसार शनाया मर चुकी थी और उसे मारने वाला तुम्हारा ही भविष्यरूप था, इसलिये तुमने यह फैसला किया कि भविष्य में जाकर तुम अपने ही भविष्यरूप को खत्म कर दोगे।
ताकि न वह भविष्य बचे और न भूतकाल में जाकर वह शनाया को नुकसान पहुँचा सके मगर तुम अनजाने में ही एक बार फिर से टाइम लूप के ही द्वारा निर्मित रास्ते पर बढ़ रहे थे।
तुमने टाइम ट्रेवेल किया और भविष्य में गए जहाँ तुमने भविष्य के अपने ही टाइम मशीन को देखा और यह सोचकर कि अगर तुम टाइम मशीन खत्म कर दोगे तो भी तुम्हारा भविष्यरूप उस टाइम मशीन के बिना टाइम ट्रैवेल नहीं कर पाएगा और इस तरह तुम शनाया और अपने भविष्य दोनों को सुरक्षित कर लोगे उसे अपने कब्जे में ले लिया मगर समय ने एक बार फिर से यहाँ पर अपना खेल दिखाया।
डिवाइस लेकर वहाँ से निकलते वक्त तुम्हारा भविष्यरूप तुम्हारे सामने आ खड़ा हुआ और गलतफहमी में तुम दोनों ने एक-दूसरे पर ही हमला कर दिया।
गुस्से में आकर और खुद को बचाने के लिए तुमने अपने भविष्य पर गोली चला दी पर एक बार फिर से वह शनाया जो भूतकाल में बच गई थी और भविष्य में तुम्हारी पत्नी के रुप में मौजूद थी तुम्हारे भविष्यरूप को बचाने के लिए उसके सामने आ गई। परिणामस्वरूप इस बार तुम्हारी ही चलाई हुई गोली शनाया को लगी और तुम्हारी वजह से वो मारी गई।
यह सबकुछ देखकर तुम बुरी तरह घबरा गए...."
"और फिर मैं टाइम ट्रैवेल करके वापस अपने समय में ही आ गया।"
शेखर ने ट्रैवेलर की बात पूरी की जिसे सुनकर ट्रैवेलर ने भी हाँ में गर्दन हिलाई।
"बिल्कुल ठीक... पर तुम्हारे वहाँ से जाते ही भविष्य के शेखर ने भी टाइम ट्रैवेल किया और तुम्हारे पीछे-पीछे वह भी 2009 में पहुँच गया, ठीक उस वक्त जब तुम शनाया को बचाने भूतकाल में गए थे और एकबार फिर वही सबकुछ हुआ जो कि सालों से लगातार घटता चला आ रहा था।"
इतना कहकर ट्रैवेलर ने अपनी बात खत्म की।
"इसका मतलब कि मैंने.. खुद अपने ही हाथों से अपनी शनाया की जान ले ली?"
शेखर ने रुँधे हुए गले से कहा और वहीं घुटनों पर बैठकर अपना चेहरा छिपाकर रोने लगा।
"अं... एक मिनट!"
कुछ मिनटों बाद अचानक शेखर ने चेहरा ऊपर उठाया और ट्रैवेलर की ओर देखा जो खामोशी से उसे ही देख रहा था मानों जैसे वह जानता हो कि अब शेखर क्या कहने वाला था।
"अगर तुमने जो कुछ कहा व... वो सच है तो जब मैं भविष्य में गया और भविष्यकाल से वापस अपने समय में आया तो वहाँ पर भी सबकुछ बदल जाना चाहिए था न...
मेरा मतलब है भूतकाल की ही तरह... जैसे कि मैंनें कभी वो टाइम ट्रैवेल किया ही नहीं और भविष्य में गया ही नहीं?"
शेखर ने सवाल उठाया।
"बिल्कुल!"
ट्रैवेलर ने इत्मीनान से कहा।
"तो फिर ऐसा क्यों हुआ... जब मैं भविष्य में गया ही नहीं तो फिर शनाया भविष्य में मरी कैसे और अगर शनाया मरी नहीं थी तो मेरा फ्यूचर मुझे मारने के लिए पास्ट में मेरे पीछे क्यों आया?"
शेखर ने सवाल किया जो बिल्कुल वाजिब था।
"तुमने जो कहा वह बिल्कुल सही है... यानि जब तुम भविष्य से वापस अपने समय में आए तो वहाँ सबकुछ पहले जैसा ही हो जाना चाहिए था... अगर तुमने यह सही ढ़ंग से किया होता तो।"
"क्या मतलब?"
ट्रैवेलर की बात सुनकर शेखर बुरी तरह चौंका।
"मतलब... यदि तुमने अपना डिवाइस इस्तेमाल किया होता तो फिर यकीनन वैसा ही होता जैसा कि मैंने बताया था। मगर हुआ यह कि तुमने गलती से भविष्य के टाइम मशीन का यूज कर लिया और तुम्हारा खुद का टाइम मशीन भविष्य में छूट गया।
तुम्हारे भविष्यरूप ने उसी डिवाइस के जरिए भूतकाल में जाकर तुमसे बदला लेने की कोशिश की ताकि वह तुम्हें भविष्य में जाने और उसकी पत्नी शनाया को गोली मारने से रोक सके पर एक बार फिर वही सबकुछ हुआ जो पहले भी कई बार हो चुका था। और जैसा कि मैंने तुम्हें बताया यह टाइम लूप पिछल कई सालों से इसी तरह चलता आ रहा है। जिसमें फँसकर तुम इसी तरह हर बार अपनी शनाया को बचाने की कोशिश करते हो और हर बार इसके परिणामस्वरूप वह मर जाती है और तुम इसी लूप में भटकते रहते हो।"
ट्रैवेलर ने ये कहा और यह सुनकर शेखर बुरी तरह से निराश हो उठा।
"त... तो क्या इस लूप से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं है?"
आखिरकार कुछ सोचते हुए उसने ट्रैवेलर से पूछा।
"बिल्कुल है।"
ट्रैवेलर ने जवाब दिया।
"क्या?"
शेखर ने दोबारा पूछा।
"यही कि तुम इस सच्चाई को स्वीकार कर लो कि तुम चाहे जो कर लो मगर फिर भी उसे नहीं बचा सकते।
वो जा चुकी है और उसे बचाने का कोई तरीका नहीं है इस सच को स्वीकार कर लो।
और अपना वह सबसे महत्वपूर्ण निर्णय बदल दो जिसकी वजह से तुम इस टाइम लूप में कैद हुए हो... क्योंकि जब भी कोई जीव समय से छेड़छाड़ करने का प्रयास करता है समय खुद उसे ऐसे ही किसी लूप में कैद कर देता है, तब तक जब तक कि वह जीव स्वयं इस टाइम लूप को नष्ट नहीं कर देता।"
इतना कहकर वो ट्रैवेलर खामोश हो गया और खामोशी से शेखर की ओर देखने लगा जिसकी आँखों में आँसू थे और चेहरे पर निराशा थी।
"ठीक है... मैं समझ गया कि मुझे अब क्या करना है।"
शेखर ने घरघराती हुई आवाज में कहा और उसके चेहरे पर मौजूद भावों को देखकर आखिरकार कई पलों बाद ट्रैवेलर के होठों पर मुस्कान उभरी।
"मुझे तुमसे यही उम्मीद थी।"
ट्रैवेलर ने बेहद खुशी के साथ कहा।
"मगर मैं तुमसे एक सवाल करना चाहता हूँ।"
शेखर बोला।
"मैं जानता हूँ कि तुम क्या पूछना चाहते हो यही कि अगर तुम सालों से यहाँ इस टाइम लूप में कैद हो... तो फिर आज मैं तुम्हें यह सबकुछ बताने के लिए क्यों आया हूँ... यही न?"
ट्रैवेलर ने मुस्कुराते हुए कहा।
"हाँ!"
"मैंनें पहले भी कई बार कोशिशें की हैं बस फर्क इतना सा है कि इतने सालों में आज पहली बार मैं अपनी कोशिश में कामयाब हुआ हूँ।"
ट्रैवेलर ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया जिसे सुनकर शेखर के चेहरे पर समझ के भाव नजर आए।
"इसका मतलब तुम भी इसी लूप का ही एक हिस्सा हो?"
उसने पूछा।
"इसमें शक की कोई गुंजाइश नहीं।"
ट्रैवेलर ने कहा और तब जाकर शेखर को बड़ी ही सिद्दत से यह एहसास हुआ कि ट्रैवेलर काफी हद तक उसी की तरह दिखता था बस उम्र में कहीं अधिक और यह बात समझ में आते ही वह भी मुस्कुरा उठा।
"तो अब क्या?"
कहने के साथ ही शेखर ने भौंहें उठाईं।
"इस सवाल का जवाब सिर्फ तुम्हारे पास है... तुम्हारे पास टाइम मशीन बनाने का फॉर्मूला है जिसे बनाने के बाद तुम भूतकाल में जाने वाले हो...
या फिर न बनाने का निर्णय कर इस लूप को तोड़ने वाले हो... ये पूरी तरह से तुम पर निर्भर करता है।"
ट्रैवेलर ने कहा और शेखर ने समझदारीपूर्वक हाँ में सिर हिला दिया।
इसके बाद एक बार फिर से वही तेज रोशनी चमकी और जब दोबारा आँखें खुली तो शेखर ने खुद को ठीक उसी जगह पर पाया जब उसके हाथों में टाइम मशीन बनाने का फॉर्मूला था।
अब वह जानता था कि आज से ठीक 124 दिनों बाद क्या होने वाला था, मगर इस बार वह ये सबकुछ बदल सकता था।
आखिरकार उसने वही किया जो उसके लिए बिल्कुल सही था।
एक पल के लिए उसने उस टाइम मशीन के फॉर्मूले को गौर से देखा और फिर बिना कुछ सोचे उसने उसे इलेक्ट्रिक ओवेन में डालकर जला दिया।
अब वह जानता था कि वह दोबारा शनाया को कभी नहीं देख पाएगा मगर उसे इस बात की खुशी भी थी कि कम से कम अब शनाया बार-बार उसकी आँखो के सामने दम नहीं तोडे़गी।
फॉर्मूले के जलते ही वहाँ एक तेज रोशनी की चमक उठी और जब रोशनी गायब हुई तो सबकुछ बदल चुका था।
टाइम ट्रैवेल डिवाइस का आईडिया जो उसने पिछले कुछ सालों में दिनों- रात मेहनत करके तैयार किया था उसके सामने ओवेन में राख बनकर पड़ा था। इसके बाद वह मुड़ा और पास के टेबल पर मौजूद शनाया की तस्वीर उठाकर उसे निहारने लगा।
तस्वीर देखते हुए उसे यह याद आया कि किस तरह ग्यारह साल पहले एक बैंक लुटेरे ने पुलिस से बचकर भागते वक्त गलती से शनाया पर गोली चला दी थी।
जिसके बाद उसने अपनी पूरी जिंदगी बस उस टाइम मशीन के फॉर्मूले को तैयार करने में गुजार दी थी।
फॉर्मूला तैयार था मगर अब वह जानता था कि इसका अंजाम क्या होने वाला था, इसीलिए उसने वह फॉर्मूला नष्ट कर दिया।
इस प्रकार अब वह टाइम लूप से बाहर आ चुका था और इस बात पर खुश था कि अब कम से कम वह शनाया की यादों के साथ तो जी सकता था।
एक असली जिंदगी न कि कालचक्र में फँसी कोई ऐसी जिंदगी जिसमें सालों तक एक ही घटना खुद को दोहराती रहे।
आखिरकार कालचक्र का सबसे बड़ा रहस्य वह अच्छी तरह से समझ चुका था।
यह रहस्य कि बीती हुई किसी घटना को बदलने की कोशिश के क्या परिणाम हो सकते थे।
The End
Written By
Manish Pandey 'Rudra'
"गाईज एक्चुअली पिछली बार जो पार्ट पोस्ट किया था वो नेटवर्क इश्यू की वजह से पूरा नहीं पोस्ट हुआ था पर ये पूरा पोस्उम्मीद है इस चैप्टर को पढ़कर आपको आपके सारे सवालों के जवाब मिल गये होंगे।
अगर फिर भी कोई सवाल रह गया हो तो पूछिएगा जरूर, मैं जवाब देने की कोशिश करूँगा, साथ ही विस्तार में बताईयेगा कि टाइम ट्रैवेल का यह अनोखा कॉंसेप्ट आपको कैसा लगा।
हाँ एक बात की मुझे उम्मीद है कि आपने इससे पहले कभी भी टाइम ट्रैवेल को लेकर ऐसा कांसेप्ट नहीं देखा होगा, क्योंकि यह पूरी तरह से मेरी कल्पना की उपज है... ये थ्योरी मेरी खुद की बनाई हुई "द इलास्टिकल - टाइम ट्रैवेल थ्योरी है" तो कैसी है ये कल्पना ये आप जरूर बताईएगा और साथ ही यह भी बताईएगा कि आप इस थ्योरी के बारे में क्या सोचते हैं!"
shweta soni
30-Jul-2022 08:02 PM
Bahut achhi rachana 👌
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सिया पंडित
29-Jan-2022 12:24 AM
Aisi hi koi diffrent topic se related story lekar aaiye aap... Waiting your next story sir
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Manish Pandey 'Rudra'
01-Feb-2022 12:47 PM
Bilkul... Jaldi hi kuch new start karta hu
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सिया पंडित
29-Jan-2022 12:24 AM
Ek rochak kahani, ant bhla to sab bhala. Is thyory ke bare me jyada maluum to nhi hai lekin jitna apne bataya vo behtreen h, thnks for wonderful story,
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Manish Pandey 'Rudra'
01-Feb-2022 12:47 PM
Thanks 🙃 🙃
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